जसवंतनगर :प्राचीन रामेश्वरम शिव मंदिर पर श्रीशिवपुराण कथा का शुभारंभ
एमएस वर्मा (6397329270)

जसवन्तनगर (इटावा): सावन के दूसरे सोमवार को प्राचीन रामेश्वरम शिव मंदिर पर श्रीशिवमहापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। शिव मंदिर में श्रद्धालुओं के जयकरो से गूंजा शिवालय। सैकड़ों शिवभक्तों ने शिव के दर्शन किए।
मंदिर की व्यवस्थापिका इंद्रा गुप्ता ने बताया कि इस आयोजन के दौरान रोजाना प्रातः 8 बजे से भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक होगा। हर रोज दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। शिव जिसका समापन 28 जुलाई को हवन पूजन तथा भंडारे के साथ होगा।
*श्रावण मास की दूसरी सोमवारी आज, इस दिन शिव की आराधना करें*
सावन मास का आज दूसरा सोमवार है और इस दिन शिव जी की आराधना का विशेष महत्व है. आचार्य पंडित गिरिराज शुक्ला की माने तो प्रथम सोमवारी से भी अधिक महत्व दूसरी सोमवारी का होता है। यह मध्यम सोमवारी है और भूत भावन शिवजी मनोकामना की पूर्ति करते हैं। आचार्य पंडित गिरिराज शुक्ला ने बताया कि भगवान शिवजी भोले हैं और बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. प्रसन्न होने पर मनचाही मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। भोलेनाथ आशुतोष है और वह जलाभिषेक से अधिक प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा भगवान शिव को फूल पत्ती अधिक पसंद है इसलिए उन्हें फलाहारी देवता भी कहा जाता है। महीने का कैसा होगा सावन
आचार्य पंडित गिरिराज शुक्ला ने कहा कि इस बार का जो श्रावण मास है अति विशिष्ट है। इस बार सावन दो महीने की हैं। भगवान ब्रह्मा ने प्रहलाद की रक्षा के लिए 2 मास बनाया था और दोमास भगवान विष्णु का मास कहा जाता है। इस बार का श्रावण अति विशिष्ट इसलिए है क्योंकि इस बार भोले बाबा बहुत प्रसन्न है। भगवान शिव अपने साथ-साथ विष्णु जी को भी लेकर के आए हैं। इस बार के श्रावण में पुरुषोत्तम मास का योग बना रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार के सावन के समय हरिहर क्षेत्र का दर्शन बैकुंठ धाम का फल देता है
आचार्य पंडित गिरिराज शुक्ला ने बताया कि कैसे करें पूजा सोमवारी की पूजा का विधान है कि शिव का जलाभिषेक करने से पहले जल में थोड़ा गंगाजल मिला ले। उसमें फूल बेलपत्र डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। जल वाले लोटा में भांग, धतूरा, तुलसी की मंजरी फूल इत्यादि लेकर शिवजी पर चढ़ाए और नैवेद्य का भोग लगाएं।
*सोलह सोमवार से कैसे अलग?*
श्रावण मास के सोमवारी और सोलह सोमवारी में बहुत अंतर है क्योंकि श्रावण मास में सोमवारी फलाहार के साथ किया जाता है. श्रावण मास के सोमवारी करने का विधान है कि सुबह-सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान ध्यान करने के बाद सच्चे मन से शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और फूल बेलपत्र धतूरा नैवेद्य का शिव को भोग लगाएं। पूजा अर्चना करने के बाद घर पहुंच कर फलाहार करें।
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