कुशीनगर:मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था की 104वीं कवि गोष्ठी संपन्न
आफताब आलम अंसारी

कुशीनगर।
मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था लक्ष्मीगंज कुशीनगर की 104वीं कवि गोष्ठी मधुसूदन पांडेय के लक्ष्मीगंज स्थित आवास पर सम्पन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता उग्गम चौधरी 'मगन' ने किया। विशिष्ठ अतिथि सुनील चौरसिया 'सावन' रहे तथा संचालन अशोक शर्मा ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती को पुष्पार्चन कर, जगदीश कुशवाहा की सरस्वती वंदना ' वीणाधारी शारदा भावनिया' से हुआ।
गोष्ठी में उपस्थित कविगण ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत कीं। मधुसूदन पांडेय ने पढ़ा ' कच कच में रहियहs,कचहरी न जाइहs।
अशोक शर्मा ने पढा 'एक दिन दावत में चला गया यार घर'पढ़कर वाहबाही बटोरी। जगदीश कुशवाहा ने 'बाबू पहिले पहिले गइलें ससुरारी में' पढ़कर सबको हँसाया।
उग्गम चौधरी ने अपनी रचना 'बहँगी भरल दुइ दउरा घाटे लेके आइब हो' पढ़कर सबको मुग्ध कर दिया।असलम बैरागी ने पढ़ा 'माया में भुलाइल बा भाई हमर तोता'। दयानंद सोनी ने 'हमरा किस्मत में शायद लिखल नइखे प्यार' पढा। सुनील चौरसिया ने पढ़ा 'मन से तू सम्पन्न बन, धन से सुख नाहिं'।
हरिलाल जायसवाल ने पढा 'नाजायज कमाइल धनवा बहि जाला पानी में'।सुरेंद्र गोपाल ने सुनाया 'उखड़े नहीं हैं उखाड़े गए हैं, जड़ें खोदकर हम तो गाड़ें हैं।' पढ़कर गोष्ठी को ऊँचाइयाँ प्रदान कीं। इस अवसर पर सुनील चौरसिया 'सावन' को साहित्य के क्षेत्र में उत्तम कार्य हेतु सम्मानित भी किया गया ।
श्रोतागण के रूप में अजय सिंह,पंकज पांडेय, आराधना पांडेय,सत्येंद्र तथा पूर्णिमा पांडेय आदि उपस्थित रहे।